Tuesday 28 February 2017

आपकी याद आती रही रात-भर - Aapki Yaad Aati Rahi Raat Bhar

आपकी याद आती रही रात-भर
चाँदनी दिल दुखाती रही रात-भर


गाह जलती हुई, गाह बुझती हुई
शम-ए-ग़म झिलमिलाती रही रात-भर



कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन
कोई तस्वीर गाती रही रात-भर



फिर सबा साय-ए-शाख़े-गुल के तले
कोई क़िस्सा सुनाती रही रात-भर



जो न आया उसे कोई ज़ंजीरे-दर
हर सदा पर बुलाती रही रात-भर



एक उमीद से दिल बहलता रहा
इक तमन्ना सताती रही रात-भर

-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
Faiz Ahmed Faiz


-Faiz Ahmed Faiz