ए दिल मेरे अब सीख ले अंधेरे में जीना रोशन था जहाँ जिससे, वो अब ना मिलेंगे
नज़रों को तेरे फिर कभी अब हम ना दिखेंगे
हर मोड़ पे मिलती थी नज़र, अब ना मिलेंगे
हम जा रहे हैं मुड़ के ज़रा देख लो हमें
ये आख़िरी दीदार है, कल फिर ना मिलेंगे
कहीं खो ना जाना वक़्त की इस भीड़ में तुम भी
साथी बनाने को तो यहां कितने मिलेंगे
कल भी वो नज़र मेरा इंतज़ार करेंगी
उन्हें क्या पता कि फिर कभी अब हम ना मिलेंगे
इतनी भी रहनुमाई तो कर दे ज़रा हम पे
तसल्ली को पूछ ले, अब कहां मिलेंगे
ए खुदा, कभी मुफ्लिसों का दिल ना बनाना
दौलत से कभी इश्क़ के अरमां ना पलेंगे
जाते हुए कदमों की निशानी को चूम लूँ
जाने कहाँ, किस मोड़ पे अब फिर ये मिलेंगे
ए दिल मेरे अब सीख ले अंधेरे में जीना
रोशन था जहाँ जिससे, वो अब ना मिलेंगे
-Abhishek Singh
-अभिषेक सिंह
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