Monday 16 January 2017

क़रीब उन के आने के दिन आ रहे हैं - Kareeb Un Ke Aane Ke Din

#PyasaMann


नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं

क़रीब उन के आने के दिन आ रहे हैं



जो दिल से कहा है जो दिल से सुना है
सब उनको सुनाने के दिन आ रहे हैं



अभी से दिल-ओ-जाँ सर-ए-राह रख दो
केः लुटने-लुटाने के दिन आ रहे हैं



टपकने लगी उन निगाहों से मस्ती
निगाहें चुराने के दिन आ रहे हैं



सबा फिर हमें पूछती फिर रही है
चमन को सजाने के दिन आ रहे हैं



चलो 'फ़ैज़' फिर से कहीं दिल लगायें
सुना है ठिकाने के दिन आ रहे हैं

-Faiz Ahmed 'Faiz'

-फैज़ अहमद 'फैज़'


Sunday 15 January 2017

रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ - Ranjish Hi sahi Dil Ko..

#PyasaMann


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रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ

आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

पहले से मरासिम* न सही, फिर भी कभी तो
रस्मों-रहे* दुनिया ही निभाने के लिए आ
(मरासिम – प्रेम-व्यहवार, रस्मों-रहे – सामाजिक शिष्टता)
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है, तो ज़माने के लिए आ

कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मोहब्बत* का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ
(पिन्दार-ए-मोहब्बत – मोहब्बत का गर्व)
इक उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिरिया* से भी महरूम*
ऐ राहत-ए-जाँ* मुझको रुलाने के लिए आ
(लज़्ज़त-ए-गिरिया – रोने का स्वाद, महरूम – वंचित होना, राहत-ए-जाँ – जीने का जीने का आधार)
अब तक दिल-ए-ख़ुशफ़हम* को तुझ से हैं उम्मीदें
ये आखिरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ
(दिल-ए-ख़ुशफ़हम – किसी की ओर से अच्छा सोचने वाला मन)
माना की मुहब्बत का छिपाना है मुहब्बत
चुपके से किसी रोज़ जताने के लिए आ

जैसे तुझे आते हैं न आने के बहाने
ऐसे ही किसी रोज़ न जाने के लिए आ
-Ahmad Faraz
-अहमद फ़राज़ 

Friday 13 January 2017

उसकी कत्थई आँखों में हैं - Uski Katthai Ankho Me Hai

#Pyasamann

उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर मंतर सब


चाक़ू वाक़ू, छुरियां वुरियां, ख़ंजर वंजर सब


जिस दिन से तुम रूठीं,मुझ से, रूठे रूठे हैं
चादर वादर, तकिया वकिया, बिस्तर विस्तर सब
मुझसे बिछड़ कर, वह भी कहां अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपड़े वपड़े, ज़ेवर वेवर सब
जाने मैं किस दिन डूबूँगा, फिक्रें करते हैं
दरिया वरीया,  कश्ती वस्ती, लंगर वंगर सब
इश्क़ विश्क़ के सारे नुस्खे, मुझसे सीखते हैं
सागर वागर, मंज़र वंजर, जोहर वोहर सब
तुलसी ने जो लिखा अब कुछ बदला बदला हैं
रावण वावण, लंका वंका, बन्दर वंदर  सब
-Rahat Indori

-राहत इंदौरी 

इश्क है तो इश्क का इजहार - Ishq Hai to Ishq Ka Izhar

Hindi Creators and Pyasa Mann


इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये

आपको चेहरे से भी बीमार होना चाहिये

आप दरिया हैं तो फिर इस वक्त हम खतरे में हैं
आप कश्ती हैं तो हमको पार होना चाहिये

ऐरे गैरे लोग भी पढ़ने लगे हैं इन दिनों
आपको औरत नहीं अखबार होना चाहिये

जिंदगी कब तलक दर दर फिरायेगी हमें
टूटा फूटा ही सही घर बार होना चाहिये

अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दें मुझे
इश्क के हिस्से में भी इतवार होना चाहिये
-Munnawar Rana

-मुन्नवर राणा